Morarji Desai's Role in Shaping India's Economic Policies: A Comprehensive Study
मोरारजी देसाई
मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के भरुच जिले के विलियम नगर में हुआ था। वे एक महात्मा गांधी के साथी, स्वतंत्रता सेनानी, और भारतीय गणराज्य के पहले गृहमंत्री थे। मोरारजी देसाई का पूरा नाम मोरारजी रंजीबहाई देसाई था।
मोरारजी देसाई का शिक्षा जीवन:
मोरारजी देसाई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सर्कारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों से पूरी की, और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से बैचलर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने फिर बॉम्बे प्रेस्बिटेरियन कॉलेज से बैचलर्स ऑफ लॉ डिग्री प्राप्त की और फिर लंदन के लिंकन इन स इन कॉलेज से मास्टर्स ऑफ लॉ की डिग्री प्राप्त की।
स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी:
मोरारजी देसाई ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और सत्याग्रह और अनशन के माध्यम से आजादी के लिए संघर्ष किया। वे गांधीजी के आदर्शों का पालन करते थे और गांधीजी के नेतृत्व में कई अहम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों में भाग लिया, जैसे कि दांडी मार्च और भारतीय विमोचन आंदोलन।
स्वतंत्रता संग्राम के बाद:
स्वतंत्रता संग्राम के बाद, मोरारजी देसाई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए किए गए योगदान के लिए सरकार द्वारा नागरिक सम्मान "पद्म भूषण" से सम्मानित किया गया।
स्वतंत्रता संग्राम के बाद, मोरारजी देसाई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए किए गए योगदान के लिए सरकार द्वारा नागरिक सम्मान "पद्म भूषण" से सम्मानित किया गया।
प्रधानमंत्री बनना:
मोरारजी देसाई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद अपने राजनीतिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारतीय गणराज्य के पहले गृहमंत्री थे और 1967 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
1977 में, उन्होंने जनता पार्टी के द्वारा चलाई गई समृद्धि की सरकार के नेता के रूप में प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया और भारतीय गणराज्य के पांचवें प्रधानमंत्री बने।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:
मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने कई महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान किया, जैसे कि गरीबी और किसानों के लिए योजनाएँ बनाना, महिलाओं के लिए समाज कल्याण कार्यक्रमों का प्रसार करना, और बिना भ्रष्टाचार के सरकारी संगठन बनाना।
हालांकि मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री बनने के बाद कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए, उनकी सरकार विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में कामयाब नहीं थी और उन्होंने 1979 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
अंत में:
मोरारजी देसाई का निधन 10 अप्रैल 1995 को हुआ। वे एक महान भारतीय गणराज्य के साथी और उत्कृष्ट नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर राजनीति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी मृत्यु ने भारतीय राजनीति को एक महत्वपूर्ण नेता की कमी का सामना करना पड़ा, लेकिन उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।
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