Rajiv Gandhi: A Visionary Leader and His Transformative Legacy in Indian Politics
राजीव गांधी
प्रस्तावना
राजीव गांधी, जिनका जन्म 20 अगस्त 1944 को बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ था, एक प्रमुख भारतीय राजनेता थे जिन्होंने भारतीय राजनीति को एक नए दिशा में मोड़ दिया। वे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र थे और उनके निधन के बाद उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के पद का कार्यभार संभाला। इस लेख में, हम राजीव गांधी की जीवनी के विभिन्न पहलुओं को और उनके योगदान को विस्तार से जानेंगे।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
राजीव गांधी का जन्म भारतीय गुप्ता परिवार में हुआ था। उन्होंने इसे भी मिलकर पढ़ाया, और उन्हें अच्छी शिक्षा की मिली। वे उन उच्चतम शिक्षा की ओर बढ़े और इंग्लैंड के इम्पीरियल कॉलेज, लंदन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद, वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से आईसीएए (सांख्यिकीय साइंस) की डिग्री प्राप्त करने के लिए पढ़ने गए। इसके बाद उन्होंने अपने पिता के साथ भारत वापस आकर अपनी प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की।
राजनीतिक प्रवृत्ति की शुरुआत
राजीव गांधी की राजनीतिक प्रवृत्ति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के रूप में हुई। वे राजनीति में प्रवेश करने के पश्चात्, बहुत तेजी से आगे बढ़े और पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिकाओं को निभाया।
1984 का दुखद घटना
1984 में, भारतीय राजनीति को एक बड़ी दुखद घटना ने झटका दिया। इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। इसके परिणामस्वरूप, कांग्रेस पार्टी में एक बड़ी नैतिक और राजनीतिक खाई खड़ी हो गई, और उनकी मृत्यु के बाद, उनके पुत्र राजीव गांधी को पार्टी के नेता के रूप में चुना गया।
प्रधानमंत्री बनना
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, वे भारतीय राजनीति को एक नयी दिशा में मोड़ दिया। उन्होंने अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार किए और देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
प्रमुख योजनाएँ और योगदान
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाएँ और कदम उठाए, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
1. पंचायती राज योजना: राजीव गांधी ने पंचायती राज योजना की शुरुआत की, जिससे ग्रामीण समुदायों को स्वायत्तता और नियंत्रण की अधिकारिकता मिली। इसके माध्यम से, स्थानीय सरकारों को अधिक शक्ति दी गई और ग्रामीण विकास को समर्थन मिला।
2. गरीबी हटाओ: वे "गरीबी हटाओ" अभियान की शुरुआत करके, गरीबी के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया। इस योजना के माध्यम से, उन्होंने गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा की ओर कदम बढ़ाया।
3. पर्यावरण संरक्षण: राजीव गांधी के दौर के दौरान, पर्यावरण संरक्षण को महत्वपूर्ण ध्यान दिया गया। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा दिया और पर्यावरण के प्रति सावधानी बरती।
4. तकनीकी विकास: वे तकनीकी और वैज्ञानिक विकास को महत्व देते थे और भारतीय साइंटिस्टों को समर्थन प्रदान करने का प्रयास किया।
5. आपूर्ति बचाओ योजना: उन्होंने आपूर्ति बचाओ योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य फसलों की सुरक्षित रखरखाव और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना था।
6. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार: उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को मान्यता दिलाने के लिए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की स्थापना की।
चुनौतियों का सामना
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के समय, वे कई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार थे। उनकी प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व की बदौलत, वे निर्णय लेने के लिए सक्षम थे।
नागरिकता संशोधन
1985 में, उन्होंने भारतीय नागरिकता संशोधन योजना को पारित किया, जिसका उद्देश्य था कि उन लोगों को नागरिकता प्रदान की जाए, जिन्होंने भारत के अलावा किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त की थी। यह योजना बांग्लादेश से भारत आने वाले लाखों बांग्लादेशी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण थी।
भूकंप और भूखमरी का सामना
1988 में भारत में एक बड़ा भूकंप हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कई लाख लोगों की मौके पर मौका बन गई और उन्हें भूखमरी का सामना करना पड़ा। राजीव गांधी ने इस प्राकृतिक आपदा का संघर्ष किया और प्रशासनिक समर्थन प्रदान किया।
राजीव गांधी की हत्या
1989 में, एक दुखद घटना ने भारतीय राजनीति को हिला दिया। राजीव गांधी को स्रीलंका के तमिल तिगर्स नामक संगठन के एक आतंकवादी द्वारा बम ब्लास्ट से हत्या कर दी गई। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को आहत किया और भारतीय राजनीति को एक बड़ी चुनौती प्रदान की।
निष्कर्षण
राजीव गांधी एक ऐतिहासिक राजनेता थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति को नई दिशा में मोड़ दिया। उनका योगदान गरीबी की ओर ध्यान केंद्रित था, और वे ग्रामीण समुदायों के उत्थान के लिए संकल्पबद्ध थे। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, वे नागरिकता संशोधन और पंचायती राज जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत करके भारतीय समाज को सुधारने का काम किया। उनकी मृत्यु एक दुखद घटना थी, जिसने भारतीय राजनीति को एक बड़ी खोई की आहत किया, लेकिन उनकी यादें हमें यह याद दिलाती हैं कि वे एक उद्घाटनीय और सशक्त नेतृत्व के साथ काम कर रहे थे।
संदर्भ
- गांधी, राजीव. (1991). "राजीव गांधी की आत्मकथा". दिल्ली: अग्र ग्रान्थालय.
- गुप्ता, प्रमोद. (2007). "राजीव गांधी: एक जीवनी". दिल्ली: रोज़ना प्रकाशन.
- यादव, आर के. (2008). "राजीव गांधी: संग्रहलेखन और मूल्यांकन". दिल्ली: सर्वप्रेषण निदेशालय.
- भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण घटनाक्रम, 1947-2007. (2008). नई दिल्ली: परमाउंट पब्लिशिंग हाउस.
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