लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय गणराज्य के पहले लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगालसराय, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। वे महात्मा गांधी के अनुयायी और सर्वोदयवादी विचारधारा के पक्षधर थे, और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं।
शिक्षा और स्वतंत्रता संग्राम:
लाल बहादुर शास्त्री का शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन था, और वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा और सांस्कृतिक धारा को समर्पित कर दिए। उन्होंने कानपूर और वाराणसी के विभाजन के बाद वाराणसी विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और विभाजन के बाद कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े।
महात्मा गांधी के आदर्श और नेतृत्व:
लाल बहादुर शास्त्री गांधीजी के आदर्शों और नेतृत्व के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे। वे गांधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता रहे और सत्याग्रह के पक्ष में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल जाने का साहस दिखाया और उनका नेतृत्व स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
पंडित शास्त्री का सांसद और मंत्री बनना:
लाल बहादुर शास्त्री ने स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात्ताप में भाग लिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेता भारतीय सरकार के मंत्री बने। उन्होंने विभाजन के बाद की समस्याओं का समाधान करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए और देश के विकास के लिए अपना पूरा समर्थन दिया।
शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनना:
लाल बहादुर शास्त्री 1964 में भारतीय प्रधानमंत्री बने, जब पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। उनके प्रधानमंत्री बनने के समय देश में कई गंभीर समस्याएँ थीं, जैसे कि पाकिस्तान के साथ युद्ध, भारत-चीन सीमा विवाद, और खादी अनाज की कमी।
ताशकंद समझौता:
लाल बहादुर शास्त्री ने ताशकंद, पाकिस्तान के साथ हुआ युद्ध, के बाद भारत को अपनी सेना की शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए अपने दूसरे महीने का अन्न और राशन बंद करने का आलंब बताया। इसके परिणामस्वरूप, 1965 में ताशकंद समझौता हुआ, जिसमें दोनों देशों के बीच शांति समझौता हुआ और युद्ध बंद हुआ।
भारत-चीन युद्ध:
उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत-चीन सीमा पर विवाद उभरा, और इसके परिणामस्वरूप, 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ। युद्ध के बाद, शास्त्री जी ने विश्वास को मजबूत करने और सीमा समस्या के समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
खादी अनाज की कमी:
उनके प्रधानमंत्री बनने के समय भारत में खादी अनाज की कमी थी, जिसके चलते भारतीय गणराज्य के लोगों को भूख का सामना करना पड़ रहा था। शास्त्री जी ने इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए देशभर में अनाज की उन्नति के लिए एक विशेष प्रोजेक्ट शुरू किया और खादी अनाज की उत्पादन को बढ़ावा दिया।
जीवन का अंत:
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण था, लेकिन वे अपने दृढ़ इच्छाशक्ति, ईमानदारी, और नेतृत्व के साथ अपने लक्ष्यों को पूरा किये। उन्होंने देश के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया और वे एक सच्चे देशभक्त थे।
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु अचानक हो गई, जब वे तशकंद समझौते के दौरान तशकंद (उस्तराना, उत्तर प्रदेश) में थे। उनकी मृत्यु का कारण आज भी विवादित है, और कुछ लोग मानते हैं कि उनकी मृत्यु कारणसर मुख्य हाथियार पर टूटने के कारण हुई, जबकि दूसरे कुछ लोग दूषित भोजन के कारण हुई मृत्यु का दावा करते हैं। उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 को हुई थी, और उनका निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति था।
लाल बहादुर शास्त्री एक साहसी और महान नेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया और देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका योगदान आज भी हमारे देश के इतिहास में अमूल्य है और उन्हें हमें सदैव याद रखना चाहिए।
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