Biography of Ramaswamy Venkataraman

रामस्वामी वेंकटरामन

पूरा नाम: रमस्वामी वेंकटरामन

जन्म: 4 दिसम्बर 1910

मृत्यु: 27 मई 2009

पद: भारतीय गणराज्य के आठवें राष्ट्रपति (1987-1992)

प्रस्तावना:

रमस्वामी वेंकटरामन, भारतीय गणराज्य के आठवें राष्ट्रपति रहे और भारतीय संघ के चौथे सचिव रहे, एक महत्वपूर्ण और समर्पित राजनेता थे जिन्होंने भारतीय गणराज्य की सेवा में अपना जीवन व्यतीत किया। उनका जीवन कार्यकाल भारतीय राजनीति के इतिहास में महत्वपूर्ण रूप से याद किया जाता है।

शिक्षा और निर्धारण:

रमस्वामी वेंकटरामन का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य के एक छोटे से गांव राजमदम में हुआ था। उनके जीवन का प्रारंभ नीचेर दर्जी कुलीन परिवार में हुआ था, और उनका शिक्षा में गहरा समर्पण था। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज से की, जहां उन्होंने अकादमिक रूप से उत्कृष्टता प्राप्त की।

वेंकटरामन की कड़ी उम्र में कानून के प्रति प्रेम था, और उन्होंने चेन्नई (तब मद्रास) के लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की, और फिर लंदन के ग्रेज़ इन से बैरिस्टर-एट-लॉ की डिग्री प्राप्त की। उनका कानूनी शिक्षा ने उनके भविष्य के राजनीतिक करियर की नींव रखी।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत:

रमस्वामी वेंकटरामन का राजनीतिक करियर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में शुरू हुआ था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में कार्य किया और महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रमुख नेताओं के प्रेरणा में थे। उनका स्वतंत्रता संग्राम में गहरा समर्पण था, और वे विभिन्न असहमति अभियानों और आपत्तिकरणों में शामिल हुए थे, जिनका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से मुक्ति प्राप्त करना था।

भारतीय संविधान का योगदान:

रमस्वामी वेंकटरामन के राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी भूमिका रही। उन्होंने भारतीय संविधान के मसौदे को तैयार करने में गहरा सहयोग किया। उनकी कानूनी विशेषज्ञता और संविधानिक सिद्धांतों के गहरे ज्ञान ने उन्हें इस महत्वपूर्ण राष्ट्र-निर्माण के क्रियाकलाप के दौरान महत्वपूर्ण संपत्ति बना दिया।

राज्य और केंद्र सरकार में भूमिका:

रमस्वामी वेंकटरामन की राजनीतिक यात्रा 1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी जारी रही। उन्होंने तमिलनाडु सरकार की कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जैसे कि उद्योग और श्रम मंत्री। उनके नेतृत्व और सरकार की भलाई के प्रति उनका समर्पण उन्हें एक योग्य और ईमानदार प्रशासक के रूप में मान्यता दिलाया।

उनका केंद्र सरकार में करियर तब शुरू हुआ जब उन्होंने सांसद के रूप में चुनाव जीता। उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के तहत कई पदों पर काम किया, जैसे कि वित्त और रक्षा मंत्री। उनका वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल भारतीय आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राष्ट्रपति और नेतृत्व:

1987 में, रमस्वामी वेंकटरामन को भारतीय गणराज्य के आठवें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया, जिससे गियानी ज़ैल सिंह के पद का पालन किया। उनका राष्ट्रपति बनना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण दौर में हुआ था।

उनके राष्ट्रपति बनने के दौरान, भारत को राजनीतिक अस्थिरता और क्षेत्रीय संघर्षों के दौर में संघटित रखने में एक अहम भूमिका निभाई। उनका लक्ष्य गणराज्य के संविधान में रूपित मूल्यों को बनाए रखना था।

योगदान और उपलब्धियाँ:

रमस्वामी वेंकटरामन ने भारतीय संविधान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया, क्योंकि उन्होंने संविधान सभा के सदस्य के रूप में भाग लिया। उनकी विधायिका ज्ञान और संविधानिक सिद्धांतों के गहरे समझ के कारण उन्हें इस महत्वपूर्ण राष्ट्र-निर्माण के महत्वपूर्ण साधक माना गया।

उपलब्धियाँ और विरासत:

रमस्वामी वेंकटरामन की विरासत उनके डेमोक्रेटिक मूल्यों के प्रति की गई विश्वास और भारतीय संविधान को बनाने के कार्य में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के साथ चिह्नित है। उनकी राष्ट्रपति बनने के बाद केरल में स्थायी निवास की स्वीकृति मिली, और वह वहाँ प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की तरह सेवा करते रहे।

1992 में राष्ट्रपति के पद का समापन होने के बाद, वेंकटरामन जीवन में भी सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे। उन्होंने राष्ट्र के लिए अपने योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए। 27 मई 2009 को, रमस्वामी वेंकटरामन की 98 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई, जिससे उन्होंने सार्वजनिक सेवा और भारतीय संविधान के आदर्शों के प्रति अपने समर्पण की विरासत छोड़ दी।

रमस्वामी वेंकटरामन के जीवन और राजनीतिक करियर उनके निष्ठापूर्णता, ईमानदारी और राष्ट्र के कल्याण के प्रति गहरे समर्पण के मूल्यों का परिचायक हैं। उनके योगदान को आज भी मनाया और उनकी विरासत को भारतीयों के लिए पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के रूप में माना जाता है।

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