संस्कृति क्या-क्यों-कैसे?

संस्कृति क्या-क्यों-कैसे?

संसार के प्रत्येक क्षेत्र में सांस्कृतिक भिन्नता पाई जाती है, क्योंकि प्रत्येक जगह एक समान भौगोलिक वातावरण नहीं है। संस्कृति के अंतर्गत वह विचार या नियम और संस्कार आते हैं, जो हम अपने पूर्वजों से ग्रहण करते हैं। पूर्वजों से मिलने वाले संस्कार, धर्म-दर्शन, सामाजिक व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था तथा त्योहार आदि संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं।

संस्कृति क्या-क्यों-कैसे?

इस लेख के माध्यम से हमने अपने पाठको के मन में उत्पन्न होने वाले निम्नलिखित प्रश्नों का सूक्ष्म उत्तर देने का प्रयास किया है: -




विकिपीडिया के अनुसार, "संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने के स्वरूप में अंतर्निहित होती है।"

एडवर्ड टेलर का कथन है कि, "संस्कृति वह जटिल समग्रता है, जिसमें ज्ञान विश्वास कला आदर्श कानून प्रथा एवं अन्य किन्हीं भी आदतों एवं क्षमताओं का समावेश होता है। जिन्हें मानव ने समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त किया है।"

(ख) संस्कृति की उत्पत्ति कब हुई?

इतिहास में गहन रुची रखने वाले किसी भी मनुष्य के लिए यह प्रश्न सामान्य मगर संवेदनशील हो सकता है। दरअसल संस्कृति की उत्पत्ति मानव समाज से हुई है। मानव का प्रारंभिक काल में सामाजिकरण नहीं हुआ था। नवपाषाण काल में कृषि के विकास के फल स्वरुप लोग एक ही स्थान पर सम्मिलित रूप से रहने लगे। उनके द्वारा अपनाए गए नियमों और विश्वासों को उनके वंशजों ने प्राप्त किया तथा यह स्थानांतरण की प्रक्रिया अनवरत रूप से भविष्य में भी चलती रही। बाद में अनेक मोड ऐसे आए जिन्होंने मानवीय संस्कृति को धार्मिक संस्कृति बना दिया।

(ग)भारतीय और पाश्चात्य संस्कृति में कौन श्रेष्ठ है?

उपरोक्त प्रश्न विवादग्रस्त है, क्योंकि अधिकांश विद्वान अपने देश अथवा क्षेत्र की संस्कृति को को तुलनात्मक रूप से बेहतर मानते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय संस्कृति धर्म प्रधान एवं पाश्चात्य संस्कृति ज्ञान विज्ञान प्रधान रही है। पश्चिमी संस्कृति द्वारा विज्ञान को आत्मसात करने के कारण उनके समाज ने तीव्र प्रगति की है। पश्चिम में तर्क - वितर्क के आधार पर काल्पनिक ईश्वर व धर्म को नकारते हुए अधिकांश लोग नास्तिक एवं उदार प्रवृत्ति के होते जा रहे हैं। ठीक इसके विपरीत मध्य एवं दक्षिणी एशिया के कुछ देशों में धार्मिक कट्टरता उनकी संस्कृति का मुख्य पहचान बनती जा रही है। इसके परिणाम स्वरुप उनका सांस्कृतिक एवं धार्मिक पतन हो रहा है। धार्मिक कट्टरता के परिणाम स्वरूप होने वाले दंगों के परिणाम से मानवता शर्मसार हो रही है।

समकालीन उदाहरण:- उदाहरण के रूप में पिछले कुछ दिनों इजरायल और फिलीस्तीन के बीच धार्मिक युद्ध के चलते अनेक मासूम व बेकसूर लोगों की जान गई।

संस्कृति क्या-क्यों-कैसे?

भारत में भी धार्मिक कट्टरता आए दिन बढ़ती जा रही है, जो आने वाले दिनों में हमारे देश में अंतहीन अशांति का कारण बन सकती है।

भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नीतिशास्त्र पर भी पर्याप्त बल दिया जाता रहा है तथा अनेक लोग शिक्षित होने के पश्चात हिंसावादी संगठनों से अलग होकर उदार विचारधारा को भी अपना रहे हैं।

निष्कर्ष:- प्रत्येक स्थान की संस्कृति भिन्न-भिन्न होती है। किसी क्षेत्र की संस्कृति को धर्म, समाज, राजनीति, विज्ञान, नीतिशास्त्र, अर्थव्यवस्था, भूगोल और इतिहास आदि विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। भारत एक मिश्रित संस्कृति का देश रहा है, यहां पर विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते आए हैं। भारतीय संस्कृति ने आर्यों, यूनानीयों, कुषानो एवं अरब के लोगों के धर्म एवं संस्कृति को भी अपने आप में आत्मसात किया हुआ है। पिछले कुछ दशकों में धार्मिक एवं सामाजिक दंगों ने भारतीय संस्कृति को प्रभावित किया है। तुलनात्मक दृष्टि से देखे तो पश्चिमी संस्कृति का विकास भारतीय संस्कृति की अपेक्षा तीव्र गति से हो रहा है।

संदर्भ ग्रंथ सूची:-
1. वेद, पुराण एवं उपनिषद्
2. बौद्ध एवं जैन धर्म ग्रंथ
3. विकिपीडिया
4. इंटरनेट
5. द्वितीय स्त्रोत।

नोट:- अक्सर ऐसा देखा गया है, कि किसी भी सूचना के प्राथमिक एवं द्वितीय स्त्रोतों साथ कम या ज्यादा छेड़छाड़ होने की संभावना रही है। वैसे स्त्रोतों में उपलब्ध कराई गई जानकारी लेखक के स्वयं के विचार भी हो सकते हैं अथवा तत्कालीन समय की सच्चाई भी, यह पता लगाना भी शोधार्थी का कार्य है। यह प्रत्येक शोधार्थी का कर्तव्य है, कि वह किसी भी स्त्रोत का प्रयोग करने से पहले उसकी बाह्य एवं आंतरिक आलोचना की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही यह समझने का प्रयास करें, कि वह जिस स्त्रोत का प्रयोग अपने शोध हेतु कर रहा है क्या वह सत्य है।

सामान्यत: ऐसा देखा गया है, कि मूल स्त्रोतों के साथ छेड़छाड़ कर दी जाती है/थी (उदाहरण के तौर पर ऋग्वेद में दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया। ऐसा कुछ शोधार्थी एवं विद्वानों के द्वारा कहा जाता है)। ऐसा जानना इसलिए आवश्यक है, ताकि भविष्य के अनुसंधानकर्ताओं का बहुमूल्य समय व्यर्थ होने से बचाया जा सके।

नोट:- हम आपको किसी भी देश अथवा क्षेत्र की संस्कृति को अच्छा या बुरा मानने के लिए बाध्य नहीं करेंगे। आप अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी संस्कृति के सिद्धांतों को अपना सकते हैं, यह आपका व्यक्तिगत रुचि का विषय है।

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